एक गलत कदम

  • Jul 15, 2024

किसी ने बड़ी कमाल की बात कही है कि अभिमान कहता है- मुझे किसी की ज़रूरत नहीं है... और अनुभव कहता है कि समय आने पर मिट्टी की भी जरूरत पड़ेगी… 

एक लड़का एक सेठ के यहाँ नौकरी करता था... सेठ जी ने एक दिन उसको काम से निकाल दिया। लड़का उदास था, क्योंकि बेरोजगार हो चुका था... वो अपने घर की तरफ चला जा रहा था. अचानक से किसी की आवाज आई- इस गांव में कोई मजदूर मिलेगा? लड़के ने पीछे पलट करके देखा तो एक बाबा जी कंधे पर तीन झोले लेकर के चले आ रहे थे। लड़के ने पूछा- क्या हो गया क्या काम है? तो बाबा जी ने कहा- देखो बेटा!  मेरे पास तीन झोले हैं... यह सबसे बड़ा भारी है... इसको कोई उठा लेता, मुझे यहां से दूसरे गांव तक जाना है... इस झोले को लेकर के कोई मेरे साथ गांव तक चल देता तो मैं उसे तीन सोने के सिक्के देता।
लड़के ने सोचा ये बड़ा अच्छा सौदा है...  मैं तो अभी काम से निकाला गया हूं, और काम मिल गया... उसने कहा- ठीक है मैं लेकर के चलूंगा। नौजवान हट्टा कट्टा लड़का, बड़ा झोला अपने कंधे पर टांग कर चलने लगा... बाबा जी बीच-बीच में उसे देख रहे थे. लड़के को लगा, की शायद बाबाजी को शक हो रहा कि मैं झोला लेकर के भाग जाऊंगा। मैं क्या करूंगा इसका? लड़के ने आखिरकार पूछ लिया- वैसे इसमें है क्या? बड़ा भारी सा लग रहा है? बाबा जी ने कहा- बेटा इसमें तांबे के सिक्के हैं. लड़के का अच्छा-अच्छा। 
चलते चलते आगे की तरफ नदी आयी...  लड़का तो पार करने लगा, पर बाबाजी किनारे पर खड़े थे... लड़के ने उसने पूछा- क्या हो गया? आप आ क्यों नहीं रहे? बाबा जी ने कहा- बेटा मेरे पास अभी भी दो झोले हैं... और अगर गलती से मेरा पांव फिसल गया,  मेरा संतुलन बिगड़ गया तो मैं नदी के बहाव में बह जाऊंगा, डूब जाऊंगा। तुम ही  मेरी कोई मदद कर दो...


लड़के ने पूछा, अब क्या करना है? बाबा जी ने कहा- एक और झोला ले लो...  मैं तुम्हें तीन और सोने के सिक्के दूंगा। लड़के ने सोचा, वाह! ये तो बढ़िया सौदा है...  उसने दूसरा झोला भी ले लिया। अब लड़के के पास दो झोले थे... थोड़ा आगे चले, तो लड़के ने पूछा- कि बाबा जी एक बात बताइए दूसरे वाले में क्या है? ये भी बड़ा भारी लग रहा है? बाबाजी ने कहा- बेटा इसमें चांदी के सिक्के हैं... बाबाजी बार-बार उसे लड़के पर नजर रखे हुए थे कि वो झोले  लेकर के भाग न जाए... और लड़का ये बात भांप चुका था... आखिरकार वह पलटा और कहने लगा -कि आप क्या मुझे चोर समझ रहे हैं? आपको लग रहा है कि मैं झोले लेकर भाग जाऊंगा? मैं कहीं नहीं जाऊंगा। मैंने पूरे जीवन में इमानदारी निभाई है... और आज मुझे नौकरी से निकाल दिया गया...  सेठ जी ने मुझे अपने यहां से काम पर से इसलिए निकाल दिया क्योंकि सेठ जी मुझे घोटाला और घपला करने के लिए कह रहे थे... पैसों में हेर फेर करने के लिए कह रहे थे...  मैं ऐसा काम नहीं कर सकता।  मैं ईमानदार रहना चाहता हूं, इसलिए मुझे काम पर से निकाल दिया गया...  मैं तो अभी-अभी ईमानदारी के चक्कर में नौकरी छोड़करआ रहा हूं... आपको क्या लगता है, मैं आपके झोले लेकर भागूंगा? वह बुजुर्ग हंसने लगे, कि ऐसी कोई बात नहीं है... 
आखिरकार वह जगह आ गई, जहां से वह गांव बहुत पास था... एक पहाड़ था उसको पार करना था… पहाड़ की दूसरी और तलहटी में वह गांव था... उस लड़के से बाबा जी ने कहा- देखो बेटा! एक झोला बचा है मेरे कंधे पर... लेकिन मुझे नहीं लगता, कि मैं इसका वजन भी उठा करके पहाड़ चढी पाऊंगा। मैं अकेले ही पहाड़ चढ़ जाऊं, ये भी काफी है... क्या तुम यह एक और झोला ले लोगे? मैं तुम्हें तीन और सोने के सिक्के दूंगा। लड़के ने हाँ कह दी, और वो तीनों झूले लेकर के धीरे-धीरे पहाड़ चढ़ने लगा... और बाबा जी उससे भी धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे... वो कहते जा रहे थे कि- तुम चलो, ऊपर पहुंच जाओ और वहां बैठकर के मेरा इंतजार कर लेना। मैं आ ही रहा हूं... 
लड़के ने कहा ठीक है, उसने थोड़ी और गति बढ़ा ली... और जब वह आधा पहाड़ चढ़ चुका था तो उसके दिमाग में बुरा विचार आया...  उसे लगा कि यह बाबा तो बहुत बुजुर्ग हैं... यह मेरा क्या कर लेंगे? अगर मैं तीनों झोले लेकर भाग जाऊं? इसमें से एक में है तांबे के सिक्के, दूसरे में चांदी के और तीसरे के बारे में बताया नहीं। लेकिन सोने की ही होंगे क्योंकि छोटी सी पोटली है... तो अगर मैं तीनों सिक्के के इन झोलों को लेकर के भाग जाऊं, तो क्या कर लेंगे मेरा यह? मुझे पकड़ भी नहीं पाएंगे। 
यह विचार लगातार लड़के के दिमाग में चलने लगा... और लड़के से रहा नहीं गया... वह दौड़ने लगा और दौड़ते दौड़ते इतना दौड़ा की सीधा जाकर अपने घर पर रुका.  तीनों झोले उसने जाते ही खोलने की ठानी... उसे पूरी उम्मीद थी, की सबसे छोटे वाले झोले में तो सोने के सिक्के ही निकलेंगे... पर सबसे पहले लड़के ने बड़ा वाला झोला खोला... देखा तो उसमे पत्थर ही पत्थर भरे हुए थे... हैरान होकर लड़के ने दूसरा वाला झोला खोला, तो उसमें पत्थर ही पत्थर थे... और तीसरे वाले में भी पत्थर ही मिले... लड़के का दिमाग खराब हो गया... कि बाबा क्यों झूठ बोल रहा था?  क्या नाटक कर रहा था? अपनी कहानी बन रहा था? 
लड़के ने सबसे छोटे झोले में सब जब पत्थर हटाए तो एक पर्ची मिली, जिस पर लिखा था- बेटा मैं इस राज्य का राजा हूं. मैं अपने लिए राजकुमार की तलाश में था...  मैं निःसंतान हूँ.. मैं राज्य का अगला राजा ढूंढ रहा हूं, जिसे मैं अपना उत्तराधिकारी घोषित कर सकूं और ईमानदार व्यक्ति ढूंढ रहा हूं… अगर तुमने आज यह तीनों झोले नहीं चुराए होते, तो शायद आज ही तुम इस राज्य के राजा बन जाते। लेकिन तुमने मुझे धोखा दे दिया। लड़का फूट फूट कर रोने लगा कि पूरे जीवन ईमानदारी की, और एक गलत कदम ने सब बिगाड़ दिया...
हम में से बहुत सारे लोग जीवन भर अच्छी क्वालिटीज के साथ आगे चलते हैं, अच्छे कदम रखते हुए चलते हैं... लेकिन एक बार भी अगर आपने गलत कदम उठा लिया, या आप बुराई के जाल में फंस गए, तो आप कभी बाहर नहीं निकल पाएंगे... कई बार बुराई आप पर अटैक करती है, और रावण जो है हमला करता है... उस अंदर के रावण को अपने ऊपर हावी मत होने दीजिए। वरना जिंदगी भर की मेहनत पर पानी फिर जाएगा। जब भी आप पर बुराई हावी हो, उस पल याद कीजिए कि आप जीवन भर ईमानदारी क्यों निभाते आ रहे थे...
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