सूर्यास्त और सूर्योदय में एक ही समानता है- देर करने वाले हमेशा इसे खो देते हैं...
यह कहानी है मनीष नाम की लड़के की, जो मिडिल क्लास फैमिली में पैदा हुआ... जो ट्वेल्थ क्लास तक टॉप करता रहा. कमाल का बच्चा था मनीष... पढ़ने लिखने में सबसे आगे... फैमिली को उसे पर गर्व था, फैमिली को लगता था कि बच्चा जब बड़ा हो जाएगा तो कुछ कमाल करेगा... हम लोगों की लाइफ बदल देगा। हमारी फैमिली में हैप्पीनेस आ जाएगी। लेकिन वह लड़का जब ट्वेल्थ क्लास पास करके कॉलेज में गया, तो उसकी लाइफ बदल गई... उसके आसपास ऐसे दोस्त आ गए, जिन्होंने उसे बिगाड़ के रख दिया। देर रात तक पार्टी चलने लगी. वो घरवालों से झूठ बोलकर पैसा मांगने लगा... घर वालों को समझ में आ रहा था... उन्होंने एक दिन मनीष को भी समझाने की कोशिश की, लेकिन मनीष ने घर वालों को डांट दिया- कि आप मुझे ज्ञान मत दीजिए, मुझे सब कुछ मालूम है... और आपके ज्ञान से बात नहीं बनेगी। आप शांत रहिए मैं अपनी जिंदगी जी लूंगा। घर वालों ने कुछ नहीं बोला। 1 साल के बाद में जब रिजल्ट आया तो मनीष एक सब्जेक्ट में फेल हो गया, और जहां यह फेल होने वाली बात आई, वहीं यह बात इसके ईगो को हर्ट कर गई... कि जो लड़का बारहवीं तक टॉप करता था, वह कॉलेज में जाते ही फेल कैसे हो सकता है? यह फेल होने वाली बात इसके मन में इतना घर कर गई, कि वो घर में बंद हो गया... वो गुमसुम एक कमरे में रहने लगा... घरवालों से बात करना बंद कर दिया, दोस्तों के फोन उठाना बंद कर दिया। यहां तक की बाहर आना जाना तक बंद कर दिया। मनीष धीरे-धीरे डिप्रेशन का शिकार हो रहा था... ऐसा लग रहा था कि उसकी लाइफ में यही पर ही ब्रेक लग जाएगा। सब कुछ खत्म हो जाएगा।
मनीष जिस स्कूल में पढ़ता था, जहां से उसने ट्वेल्थ पास आउट की थी, वहां के प्रिंसिपल को जब ये बात मालूम चली तो उन्होंने मनीष को अपने से मिलने के लिए डिनर पर बुलाया। मनीष ये इनविटेशन रिजेक्ट नहीं कर सका. जब शाम में बिना मन से मनीष वहां पहुंचा, तो उसने देखा की प्रिंसिपल साहब गार्डन में बैठे हुए थे... सर्दी का माहौल था और वो अंगीठी पर हाथ ताप रहे थे... मनीष भी वहीँ जा कर के बैठ गया... उन्होंने पूछा कि क्या हाल-चाल है बेटा? क्या चल रहा है? तो मनीष कुछ नहीं बोला। 10-15 मिनट तक दोनों के बीच में बातचीत नहीं हुई, तो प्रिंसिपल साहब ने सोचा कि क्या अलग किया जाए? उन्होंने अंगीठी में से एक जलते हुए कोयले के टुकड़े को बाहर निकाला और उस टुकड़े को मिट्टी में फेंक दिया। मिट्टी में वो टुकड़ा पहले तो थोड़ी देर धधका, पर बाद में बुझ गया... ये सब देख मनीष ने कहा- सॉरी, पर आपने ये क्या किया? एक कोयले का टुकड़ा, जो अंदर जल रहा था, गर्मी दे रहा था, उसको बाहर मिट्टी में फेंक दिया? बर्बाद कर दिया? तो प्रिंसिपल ने कहा- बर्बाद कहां कर दिया? कौन सी बड़ी बात हुई? वापस इसको ठीक कर देते हैं... उन्होंने उस कोयले के टुकड़े को उठाया और वापस लाकर के अंगीठी में डाल दिया।
जब वह टुकड़ा थोड़ी देर बाद फिर से जलने लगा, गर्मी देने लगा... तो प्रिंसिपल ने पूछा- कि बेटा कुछ समझ में आया? मनीष ने कहा- नहीं तो! प्रिंसिपल ने कहा- कि बेटा! मैं यही समझाने के लिए तुम्हें बुला रहा था... यह जो कोयले का टुकड़ा है, यह तुम हो... तुम जब अंगीठी से बाहर आए, गलत संगति में गए, मिट्टी में गए, तो बुझ गए... लेकिन तुम वापस आकर के फिर से जल सकते हो... शर्त यह कि अब अंगीठी में वापस आना होगा। अपनी लाइफ स्टाइल बदलनी होगी। अपने दोस्त बदलने होंगे।बस इतनी सी बात तुम्हें समझाने के लिए यहां बुलाना चाहता था...
मनीष को सारी बात समझ में आ गई... उसकी लाइफ बदल गई. हम में से कई सारे लोग ऐसे हैं जो डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं... सिर्फ और सिर्फ एक घटना की वजह से... हो सकता है जिंदगी किसी मोड़ पर आप फेल हो गए हो, और आपको लग रहा हूं कि सब कुछ बर्बाद हो गया... इससे आगे कुछ नहीं हो सकता। पर याद रखें- जिंदगी चलती रहती है... अगर फेल होना बहुत बड़ी बात है, तो ऐसा मत सोचिए फेल होने के बाद बाउंस बैक नहीं कर सकते... आखिर हार कर जीतना, सबसे कमाल की बात है...